◆ नपं की शासकीय भूमि पर अतिक्रमण का मामला
अंबेडकर नगर । शासकीय संपत्तियों की सुरक्षा के लिए 11 सितंबर 2024 का शासनादेश अधिकारियों के लिए कोई मायने नहीं रख रहा है। एक तरफ इस आदेश के क्रियांवयन के लिए नगर पंचायत अशरफ किछौछा के अध्यक्ष ओंमकार गुप्ता संघर्षशील है तो वहीं जिले के अधिकारियों का सौतेला रवैया इस शासनादेश पर ही पलीता लगा रहा है। शासनादेश में स्पष्ट निर्देश है कि सरकारी, ग्राम समाज, नगरीय सार्वजनिक एवं सुरक्षित श्रेणियो की भूमि के स्वामित्व, नियन्त्रण एवं अतिक्रमण को हटाने संबंधित प्रचलित अधिनियमों व नियमों की व्यवस्था के सन्दर्भ में 11 सितंबर 2024 एक शासनादेश जारी किया गया है।जिसमें स्पष्ट कहा गया था कि नगरीय अतिक्रमणताओ एवं भू माफियाओं के द्वारा एक ही प्रकार के मामलों में विभिन्न विभागों के नियमों व शासनादेश का हवाला देकर न्यायालय में भूमि संबंधी मामलों को उंलझा कर लंबित रखा जा रहा है।जिसे नगरीय क्षेत्र में जल प्लावन, ग्रीन बेल्ट आदि की कठिनाइयां उत्पन्न हो रही हैं। शासनादेश में उक्त समस्या के समाधान के लिए प्रचलित अधिनियम, नियमों की व्यवस्था स्पष्ट करते हुए समस्त मंडलायुक्त, जिलाधिकारी, नगर आयुक्त निर्देशक किया गया है कि वह अपने अपने क्षेत्र के अधिकारियों को नेतृत्व प्रदान करते हुए शासकीय संपत्तियों की सुरक्षा हेतु आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करें। इस स्पष्ट निर्देश के अनुपालन में जहां नगर पंचायत अशरफ पुर किछौछा के अध्यक्ष ओंमकार गुप्ता काफी सक्रिय भूमिका में है।वहीं इस मामले में जनपद के अधिकारी शासनादेश पर ही पानी फेर रहे है। लगातार 15 दिनों से लाउडस्पीकर से मुनादी कराने के बाद बीते 27 जनवरी को अतिक्रमण हटाने पहुंचे नगर पंचायत कर्मचारियों का विरोध करते हुए उन्हें अतिक्रमण हटाने से रोक दिया गया और उनके साथ गाली-गलौच करते हुए अभद्रता की गई। इतना ही नहीं नगर पंचायत कर्मियों की माने तो पुलिस की कार्यशैली भी इस मामले में संदिग्ध है।किसी मामले में त्वरित कार्रवाई, किसी को जांच का विषय बताना बसखारी पुलिस कार्यशैली पर भी सवाल उठा रहे हैं।
किसी किसी मामले में तो तुरंत मुकदमा पंजीकृत करने वाली बसखारी पुलिस ने इस मामले में एक दुकानदार को धमकी देकर दिलाये गए बयान पर उसके पुत्र के द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्र को ठन्डे बस्ते में डाल दिया गया है। इस मामले में बसखारी पुलिस की भी भूमिका संदिग्ध है,जो जांच का विषय है।