Sunday, November 24, 2024
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भावनात्मक बुद्धिमत्ता से दूर होती अनावश्यक चिंता

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◆ राजकीय पॉलिटेक्निक में ए आई सी टी ई प्रायोजित कार्यशाला सम्पन्न


अयोध्या। राजकीय पॉलिटेक्निक में ए आई सी टी ई प्रायोजित कार्यशाला में डा. आलोक मनदर्शन ने बताया कि किसी चुनौती पूर्ण स्थिति मे घबराहट होना एक हद तक तो सामान्य होता है परन्तु यह घबराहट यदि इस स्थिति तक बढ़ जाये कि खुद को संभालना मुश्किल होने लगे तो यह स्थिति एक मनोविकार का रूप हो सकती है। जिसे पैनिक एंग्जाइटी या एंग्जायटी डिसऑर्डर कहा जाता है। घबराहट, बेचैनी, हताशा, चिड़चिड़ापन, दिल की धड़कन बढ़ना, बुरे ख्याल आना, मौत का खौफ महसूस होना, हार्ट अटैक का भय, मुंह सूखना, सांस का तेज़ चलना, सर दर्द, आवाज़ बैठना, नींद में चौंककर उठना, शारीरिक व मानसिक थकान जैसे लक्षण इसमें दिखायी पड़ सकतें हैं। उन लोगों में यह लक्षण ज्यादा दिखाई पड़ते हैं जिनका इमोशनल क्वोशेन्ट या ई क्यू कम होता हैं या वे चिंतालु व्यक्तित्व या ऐन्सिअस पर्सनालिटी के होते हैं ।

बचाव :  चिंतालु व्यक्तित्व के प्रति सतर्क रहें तथा इमोशनल इंटेलीजेंस या भावनात्मक बुद्धिमता से नकारात्मक मनोभावों से दूरी बनाते हुए मनोस्वास्थ्य पे फोकस करें। परफॉर्मेंस बेहतर उन्ही का होता है जो इमोशनली इंटेलीजेंस होते हैं। कार्य या अध्ययन के बीच छोटे ब्रेक लेकर मनोरंजक गतिविधियों का भी पूरा आनन्द ले तथा तरल पदार्थो का सेवन करते रहें। छः से आठ घन्टे की गहरी नींद अवश्य लें। नकारात्मक व तुलनात्मक स्वआंकलन न करे एवं एैसा करने वाले तथा अतिअपेक्षित वातावरण बनाने वाले परिजनों के दबाव से बचें। इससे स्ट्रेस हार्मोन कॉर्टिसोल में कमी आती है तथा हैप्पी हॉर्मोन सेरोटोनिन व डोपामिन बढ़ता है। घबराहट ज्यादा बनी रहने पर मनो विशेषज्ञ से परामर्श ले।

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य जयराम तथा संचालन डॉ प्रीतम वर्मा ने किया।

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