Monday, November 25, 2024
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बसखारी पुलिस की निष्क्रियता से अपराधिक गतिविधियों के लिए मुफीद  बना शुकुल बाजार बाईपास

Ayodhya Samachar


◆ मामले का खुलासा छोड़िए, पुलिस दो दिन बाद भी नहीं कर पायी मृतक महिला की शिनाख्त


◆ पुलिस गस्त का दावा हवाई, बेखौफ अज्ञात बदमाशों ने सोमवार को बोरी में भर कर महिला के शव को लगाया था  ठिकाने


@ सुभाष गुप्ता


बसखारी अंबेडकर नगर। तीन दशक पहले शुक्ल बाजार बसखारी के स्थित लहटोरवा क्षेत्र का निर्जन इलाका तो अब शुकुल बाजार बाईपास अपराधिक गतिविधियों के लिए मुफीद साबित हो रहा है। जिसके लिए स्थानीय पुलिस की शिथिल कार्यशैली भी कम जिम्मेदार नहीं हैं।वैसे तो छोटी-मोटी घटनाएं शुकुल बाजार बाईपास पर आम बात हो गई हैं।लेकिन बीते सोमवार की सुबह बोरी में मिली महिला की लाश ने लोगों के दिल को दहला दिया है।तीन दशक पहले शुक्ल बाजार व नेवरी के बीच पड़ने वाले लहटोरवा निर्जन स्थान आपराधिक गतिविधियों का केंद्र बिन्दु बनी हुई थी। 1989 में आजमगढ़ जनपद के मदियापार में डेरा डाल कर रहने वाले बंजारों के एक गिरोह ने हत्या एवं दुराचार जैसे घृणित, निर्मम व जघन्य घटना को अंजाम देने के लिए 4 किलोमीटर में फैले लहटोरवा डाड़ को निशाना बनाते बनाते हुए हत्या, बलात्कार व लूट जैसे जघन्य  वारदात को अंजाम दिया था।लूट की वारदात को अंजाम देते हुए इन आपराधियो ने चार लोगों की निर्मम तरीके से हत्या कर दी थी।और दो महिलाओ की अस्मत भी लूट  ली थी।इस दिल दहला देने घटना के बाद तत समय जनपद फैजाबाद समेत जनपद आजमगढ़ का पूरा इलाका दहल गया था। इसके बाद शासन प्रशासन के द्वारा  25 जुलाई 1989 को इस निर्जन स्थान पर पुलिस चौकी की स्थापना कर जंगल में मंगल करने का काम  किया गया। पुलिस चौकी की स्थापना व पुलिस बल की तैनाती के बाद इस क्षेत्र में अपराधिक गतिविधियां थोड़ी बहुत कम हुई। लेकिन शुकुल बाजार बाईपास के अस्तित्व में आने के बाद अपराधी अपराधिक गतिविधियों के लिए इस स्थान को मुफीद समझने लगे। और शिथिल  पुलिस कार्यशैली से मनबढ़ बदमाश  निर्जन स्थान पर उतरने वाले यात्रियों व राहगीरों से छोटी मोटी छिनैती की वारदात को अंजाम देना शुरू कर दिया। बदमाशों के डर व पुलिस के झमेलो में पड़ने से बचने के लिए लोग अपने साथ हुई छोटी मोटी वारदातो की शिकायत करने से अब तक क़तरा रहे थे। जिससे पुलिस भी क्षेत्र में अपराधिक गतिविधियों पर नियंत्रण का झूठा ढिंढोरा पीटकर वाहवाही लूटने में मशगूल रहती थी।लेकिन बीते सोमवार को शुक्ल बाजार बाईपास पर संदिग्ध परिस्थितियों में बोरी में भरी मिली महिला के शव ने स्थानीय लोगों को दहशत में लाने के साथ क्षेत्रीय पुलिस के  गस्त व आपराध पर नियंत्रण के दावे की पोल को खोल कर रख दिया। मृतक महिला कौन है? कहां की है?इसकी मौत कैसे हुई?यह घटना के दुसरे दिन भी रहस्य का विषय बना हुआ है। जिस तरीके से महिला के शव को बोरी में भरकर शुक्ल बाजार बाईपास पर बने किछौछा शुक्ल बाजार अंडरपास पर ठिकाने लगाने का प्रयास किया गया है। उससे स्पष्ट है  कि अपराधियों को बसखारी पुलिस की शिथिल कार्य शैली का पता था। शंका जताई जा रही कि महिला की हत्या कर उसके शव को ठिकाने लगाने के लिए चार पहिया वाहन का भी प्रयोग किया गया रहा होगा। जिसमें किसी एक व्यक्ति का हाथ नहीं हो सकता।इस घटना को अंजाम देने के लिए और भी लोग शामिल रहे होंगे।महिला के साथ दुराचार कर उसकी हत्या करने की बात से भी इनकार भी नहीं किया जा सकता। महिला की मौत को लेकर  लगाए जा रहे इन कयासों पर यदि हम गौर करें तो गस्त पर रहने वाली पुलिस भी घटना के अनावरण करने की देरी के लिए कम दोषी नहीं। जिस तरह से बेखौफ होकर अपराधियों ने महिला के शव को प्लास्टिक की बोरी व ऊपर से जूट की बोरी में भरकर व सिलकर शुकुल बाजार बाईपास ठिकाने लगाने में कामयाब हुए हैं। उसने बसखारी पुलिस की शिथिल कार्यशैली को एक बार फिर जग जाहिर करके रख दिया है। हालांकि मामले का पर्दाफाश करने के लिए जनपद पुलिस के उच्च पुलिस अधिकारी सक्रिय भूमिका में है। लेकिन महिला के शरीर पर बने निशान, स्पष्ट चेहरा,  पहने हुए कपड़े व गहनों जैसे कई अहम सुराग के बावजूद भी महिला की पहचान दो दिन बाद भी न कर पाना बसखारी पुलिस की लापरवाही को दर्शाता है

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