अयोध्या। डा आलोक मनदर्शन ने बताया कि हाल ही में लिव इन रिलेशन में रह रहे प्रेमी द्वारा प्रेमिका की गयी जघन्य हत्या ने जहाँ पूरे देश को झकझोर दिया। वही सोशल मीडिया व डेटिंग एप पर तेज़ी से बनते बिगड़ते प्रेम सम्बंधों के दौर में युवाओं में बढ़ती मनोअगवापन व मनोसेक्स विकृतियों की तरफ भी ध्यानाकर्षण किया है । एक ओर डिजिटल मीडिया की लत ने हर आयु वर्ग को चपेट में ले लिया है वही दूसरी तरफ किशोर व युवा वर्ग डेटिंग एप की लत में फंसकर कंपल्सिव डेटर हो गया है। यह बातें जिला चिकित्सालय में आयोजित कार्यशाला में किशोर व युवा मनोपरामर्शदाता डॉ आलोक मनदर्शन ने बतायी।
उन्होने बताया कि डेटिंग या डेट करना आज के युवाओं की छद्म प्रेमी प्रेमिका बनने और बनाने की ऐसी मादक लत के रूप में उभर चुका है जिसका दुष्परिणाम मनोसेक्स विकृति, लिव इन हिंसा, अवसाद, उन्माद, ब्रोकेन हार्ट सिंड्रोम, नशाखोरी आदि के रूप में हो रहा है जिसके दुष्परिणाम आत्मघाती या परघाती हो रहे है। कंपल्सिव डेटिंग की लत से ग्रसित युवाओं में एक प्रेम सम्बन्ध में रहते हुए बहुत जल्द ही ऊबन व घुटन महसूस होने लगती है और फिर शुरू होता है आपसी कलह व हिंसा का दौर व डेटिंग एप पर तलाश नये लव पार्टनर की।
उन्होने इससे बचाव के बारें में बताते हुए कहा डेटिंग एप आज के युवाओं व किशोरो का नया नशा बन गया है। इस लत के लिए डोपामिन नामक मनोरसायन जिम्मेदार है क्योंकि डेटिंग एप का जितना अधिक एक्सपोक्सर होता है उतना डोपामिन रसायन दिमाग मे बढ़ जाता है और उत्तेजना व आनन्द की प्राप्ति होती है तथा कुछ समय पश्चात बहुत करीब आ चुके लव पार्टनर से ऊबन व नये पार्टनर की तलाश डेटिंग एप्पलीकेशन पर शुरू हो जाती है। इसे कंपल्सिव डेटिंग कहा जाता है। इससे बचने व निकलने के लिये लत मनोव्यहार की पहचान, संयमित व मनोशान्त जीवन शैली को प्राथमिकता देनी चाहिए जिससे लव हार्मोन ऑक्सिटोसिन व मनोसंयम हार्मोन सेरोटोनिन बढ़ सके। पर्याप्त नींद,रचनात्मक क्रिया कलाप, स्वस्थ मनोरंजन व खेलकूद, खुशमिजाजी, मानवीय संवेदना के कार्य इन हारमोन्स को बढ़ाते हैं। लत से निकलने में मनोपरामर्श बहुत ही कारगर है।