अयोध्या। राज्य पर्यटन विकास निगम द्वारा अयोध्या में प्राचीन एवम् ऐतिहासिक वास्तुकलाओं को संजोने, संवारने एवम् संरक्षित करने के लिए कराए जा रहे कार्यों का जिलाधिकारी नितीश कुमार ने समीक्षा की। उत्तर प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम (यूपीएसटीडीसी) के द्वारा कराए 37 प्राचीन, ऐतिहासिक एवं पौराणिक महत्त्व के मठ-मंदिरों, आश्रमों, भवनों, कुंडों व घाटों के जीर्णोद्धार कार्य करवाया जा रहा है। जिलाधिकारी ने कार्यदायी संस्था उत्तर प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम को समस्त कार्यस्थलों पर मानव संसाधन की संख्या को और बढ़ाने, सभी स्थलों पर प्रत्येक कार्य हेतु कई-कई टीमें लगाकर कार्य में और तेजी लाने के निर्देश दिए।
जिलाधिकारी ने कहा कि अयोध्या धाम के इन ऐतिहासिक महत्त्व के भवनों पर उकेरी गई बारीक वास्तुकलाओं एवम् कलाकृतियों को संरक्षित करने की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाए, सभी कार्य कुशल कारीगरों द्वारा ही कराएं और अच्छी फिनिशिंग सुनिश्चित करें। समीक्षा के दौरान जिलाधिकारी ने कार्यदायी संस्था को 15 ऐतिहासिक स्थलों जानकी घाट बड़ा स्थान, राम कचहरी मंदिर, ब्रहमकुण्ड गुरूद्वारा, मौर्या मंदिर, कौशल्या घाट, सियाराम किला, दिगम्बर अखाड़ा, वेद मंदिर, रत्न सिंहासन राजगद्दी, तिवारी मंदिर, गारापुर, राम पुस्तकालय, सरोवर कुण्ड, बड़ी देवकाली कुण्ड, विद्या देवी मंदिर के समस्त विकास कार्यों को 31 जून तक अनिवार्य रूप से पूर्ण करने के निर्देश दिए।
सहायक अभियंता यूपीएसटीडीसी ने बताया कि अयोध्या को एक आधुनिक पर्यटन नगरी के रूप में विकसित करने के लिए यूपीएसटीडीसी द्वारा जनपद के 37 ऐतिहासिक एवम् पौराणिक महत्त्व के धार्मिक स्थलों के फसाड ट्रीटमेंट एवं पर्यटन अवस्थापना सुविधाओं के विकास/निर्माण कार्यों के प्रगति की जानकारी देते हुए बताया कि कौशल्या घाट, कालेराम मंदिर, दिगम्बर अखाड़ा, वेद मंदिर, सरोवर कुण्ड, बड़ी देवकाली कुण्ड, विद्या देवी मंदिर, राम कचहरी व जानकीघाट बड़ा स्थान का 90 प्रतिशत, ब्रम्हकुण्ड गुरूद्वारा, सियाराम किला, मौर्या मंदिर व रत्न सिंहासन राजगद्दी का 85 प्रतिशत, अचारी मंदिर व छोटी देवकाली मंदिर का 80 प्रतिशत, हनुमान मंदिर, गौरापुर, करतलिया बाबा मंदिर, राम पुस्तकालय व मंगल भवन का 75 प्रतिशत, बरेली मंदिर, मणिराम दास की छावनी व तिवारी मंदिर का 70 प्रतिशत, रंग महल, लक्ष्मण किला, राम गुलेला मंदिर व तुलसी चौरा का 65 प्रतिशत, दशरथ भवन का 60 प्रतिशत, चित्रगुप्त मंदिर व टेढ़ीयति महादेव मंदिर का 55 प्रतिशत, मोतीहारी मंदिर का 50 प्रतिशत, भरत महल व विश्वकर्मा मंदिर का 45 प्रतिशत, नेपाली मंदिर (विभीषण कुण्ड) का 40 प्रतिशत का निर्माण कार्य कार्यदायी संस्था द्वारा पूरा किया चुका है तथा इनके अवशेष कार्यों को तीव्र गति से किया जा रहा है।
ऐतिहासिक एवं पौराणिक महत्व के धार्मिक स्थलों पर बिल्डिंग एवं आर्ट संरक्षण कार्य के साथ ही पेंटिंग, लाइटिंग अरेस्ट्रो, फसाड ल्यूमिनेशन, विजिटर एमिनिटीज (टॉयलेट, क्लाक रूम, ड्रिंकिंग वाटर एण्ड शू रेक), स्ट्रीट फर्नीचर (स्ट्रीट लाइट, बेंचस, डस्टबिन, रेलिंग फुटपाथ), सीसीटीवी आदि कार्य किया जा रहा है। इन पौराणिक स्थलों के पुनरुद्धार का कार्य उनकी ऐतिहासिक वास्तुकला को संजोते हुए तत्कालीन समय में प्रयोग किये गये निर्माण सामाग्रियों यथा चूना सुर्खी आदि का प्रयोग करते हुए ही रेनोवेट किया जा रहा है। इसी के साथ ही इनके प्रवेश द्वारों पर चित्रकारी भी की जा रही है। जीर्णोद्धार किये जा रहे समस्त पौराणिक स्थलों, मठ-मंदिरों एवं आश्रमों में साइनेज भी लगाये जायेंगे, जिस पर उनके पौराणिक एवं ऐतिहासिक महत्वों एवं मूल्यों को उकेरा जा रहा है। पूर्व में ही अयोध्या धाम के कई ऐतिहासिक एवं पौराणिक कुंडों सूर्यकुण्ड, स्वर्णखनि कुण्ड, गणेश कुण्ड, हनुमान कुंड के संरक्षित करने का कार्य पूर्ण हो चुका है। इसी प्रकार चरणबद्ध तरीके से अयोध्या धाम के अन्य ऐतिहासिक महत्व के पौराणिक स्थलों का जीर्णोद्धार किया जायेगा।