बीकापुर/अयोध्या। नंदीग्राम भरतकुंड में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन कथा व्यास पवन देव जी महाराज ने पूतना वध का सजीव वर्णन किया। कथा सुनते हुए उन्होने कहा कि पुतना कंस द्वारा भेजी गई एक राक्षसी थी। श्रीकृष्ण को स्तनपान के जरिए विष देकर मार देना चाहती थी। पुतना कृष्ण को विषपान कराने के लिए एक सुंदर स्त्री का रूप धारण कर वृंदावन में पहुंची थी। मौका पाकर पुतना ने बालकृष्ण को उठा लिया और स्तनपान कराने लगी। श्रीकृष्ण ने स्तनपान करते-करते ही पुतना का वध कर उसका कल्याण किया।
उन्होने कहा कि भगवान जो भी लीला करते हैं वह अपने भक्तों के कल्याण या उनकी इच्छापूर्ति के लिए करते हैं। श्रीकृष्ण ने विचार किया कि मुझमें शुद्ध सत्त्वगुण ही रहता है, पर आगे अनेक राक्षसों का संहार करना है। अतः दुष्टों के दमन के लिए रजोगुण की आवश्यकता है। इसलिए व्रज की रज के रूप में रजोगुण संग्रह कर रहे हैं। मौके पर कार्यक्रम के आयोजक अनिल कुमार कसौधन, मुख्य यजमान राम शंकर कसौधन, दुर्गा प्रसाद कसौधन संतोष कुमार कसौधन वंश कसौधन, आनंद कुमार कसौधन आदि मौजूद रहे।