Sunday, September 22, 2024
HomeAyodhya/Ambedkar Nagarअम्बेडकर नगरसौहार्द बिगड़ने का खतरा या शासन प्रशासन की नाकामी

सौहार्द बिगड़ने का खतरा या शासन प्रशासन की नाकामी


◆ यूपी में का बा सीजन 2


@ सुभाष गुप्ता


एक सशक्त लोकतंत्र के लिए एक सशक्त विपक्ष का होना जरूरी है। और जब विपक्ष कमजोर हो या जनता की आवाज उठाने में अक्षम हो तो ऐसे में साहित्य कार्य में लगे हुए लोगों की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है कि वह मजबूत लोकतंत्र के निर्माण के लिए जनता की आवाज व्यवस्थापिका ,कार्यपालिका और न्यायपालिका तक पहुंचाएं।और उस आवाज को सुनकर जिम्मेदार उस पर कार्रवाई सुनिश्चित करें। लेकिन साहित्य से जुड़े लोगों की आवाज जब शासन प्रशासन को सामजिक सौहार्द बिगड़ने का खतरा दिखाई पड़ने लगे तो ऐसे में कमी साहित्यकार की नहीं बल्कि शासन प्रशासन की निश्चित होनी चाहिए।और नोटिस साहित्यकार के बजाय शासन प्रशासन को मिलनी चाहिए। यूपी में का,बा सीजन-2 गीत को लेकर जिस प्रकार से सरकार की पुलिस ने लोक गायिका नेहा सिंह राठौर को नोटिस भेजा है। उससे यह प्रतीत होता है कि सरकार अपनी नाकामी छुपाने के लिए लोकतंत्र के एक ऐसे मजबूत स्तंभ पर अपना शिकंजा कसने पर लगी हुई हो जो बगैर किसी सरकारी सुख, सुविधा एवं सरकारी मदद के लोकतंत्र की आवाज बनकर उभर रहा है। शासन प्रशासन को यह नहीं भूलना चाहिए कि लोकतंत्र को स्थापित करने और उसे बनाए रखने में एक साहित्यकार की विशिष्ट भूमिका होती है। साहित्यकारो का लोकतंत्र समता, स्वतंत्रता और बंधुत्व पर आधारित होता है। जो रंग, जाति, प्रांत एवं धर्म के साथ शोषणविहीन लोकतंत्र की स्थापना में अपना योगदान देते रहते हैं। जिस की श्रेणी में पत्रकार, कवि, लेखक, लोक गायक आदि साहित्य से जुड़ी पराम्परा के लोग आते हैं। समय समय पर उसी पराम्परा का निर्वाहन नेहा सिंह राठौर भी बखूबी निभा रही हैं। हालांकि नेहा सिंह राठौर का यूपी में का बा सीजन-1 गीत चुनाव के दौरान गाये जाने के कारण लोगों को राजनीति से प्रेरित विपक्ष की भाषा के रूप में दिखाई पड़ी हो।लेकिन कानपुर प्रकरण के बाद नेहा सिंह राठौर के द्वारा गाए गए गीत यूपी में का बा सीजन 2 यूपी के बेलगाम हुए अधिकारियों के ऊपर एकदम सटीक बैठ रही है। आज भी भय व भ्रष्टाचार मुक्त समाज का दावा करने वाली सरकार को ग्राम पंचायतो, थानो,ब्लाकों, तहसीलो, बिजली,पी डब्लू डी आदि विभागो सहित कई सरकारी तंत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार मुंह चिढ़ा रहे हैं।भष्टाचार में लिप्त इन सभी विभागों एवं ब्यूरोक्रेट्स पर कार्रवाई व नोटिस देने के बजाय इन मुद्दों पर जनता की आवाज बन कर उभर रही नेहा सिंह राठौर को नोटिस थमाये जाना एक मजबूत एवं सशक्त लोकतंत्र के लिए कतई भी उपयुक्त नहीं माना जा सकता है। नेहा सिंह राठौर की यह आवाज भले ही किसी अंध भक्ति के मन के सौहार्द को बिगाड़ रही हो। लेकिन यह गीत वर्तमान समय में बेलगाम हुए अधिकारियों पर एकदम सटीक बैठ रही है। कानपुर में जिस प्रकार से बाबा के बुलडोजर का दुरुपयोग कर शासनिक प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा की गई कार्रवाई के दौरान करुण घटना घटी। वह लोकतंत्र के सच्चे नागरिक की आवाज बनकर नेहा सिंह राठौर के रूप में उभरी है। और उस पर अमल कर प्रकरण की जांच करा कर दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई के करने के बजाय पुलिस के द्वारा लोक गायिका को नोटिस दिया जाना एक लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ एवं मजबूत लोकतंत्र के लिए घातक परिपाटी साबित हो सकता है।

Ayodhya Samachar

Ayodhya Samachar
Ayodhya Samachar
Ayodhya Samachar

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments