अयोध्या। रामनगरी में सावन पूर्णिमा व रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया गया। उदया तिथि की मान्यता से चलते श्रद्धालुओं ने सरयू में आस्था की डुबकी लगाई इसके बाद दान-पुण्य कर मंदिरों में दर्शन-पूजन किया।
गोकुल भवन मंदिर के महंत परशुराम दास औऱ जानकी घाट बड़ा स्थान के रसिक पीठाधीश्वर महंत जन्मनजय शरण ने महत्व बताया कि हिंदू जन मानस में रक्षाबंधन के त्यौहार को लेकर बड़ा उत्साह है। जिसमे बहन भाई का अटूट बंधन रक्षाबंधन का पर्व कहलाता है।
उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण की सुभद्रा बहन थी सुभद्रा ने भगवान श्री कृष्ण को राखी बांधी और भगवान श्री कृष्ण से वचन लिया कि आप ही हमारी परिस्थितियों में सहायता करेंगे। उन्होंने वचन दिया तब से यह रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जा रहा है।
अयोध्या तीर्थ पुरोहित धंर्मात सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष राजेश पांडे महाराज ने बताया कि रक्षाबंधन भाई और बहन के प्रेम का पर्व है। भाई बहन के रक्षाबंधन का डोर देश-विदेश मे रहने वाले लोगों को खींच लाता है। उन्होंने कहा कि ब्राह्मणों का सबसे बड़ा महत्व रक्षाबंधन सावन पूर्णिमा माना जाता है। आदिकाल से परंपरा रहा है जिसमें राजा औऱ महाराजाओ ब्राह्मण के द्वारा आशीर्वाद देकर रक्षा सूत्र बांधते थे। उनकी हर प्रकार की रक्षा हो सके।भगवान श्री राम को भी रक्षाबंधन का सूत्र बांधा जाता है।
तो वही श्री अयोध्या धाम तीर्थ पुरोहित समाज सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष दुर्गेश पांडे ने बताया कि सावन मेला का पूर्णमासी अंतिम दिन है। इसमें आज शाम 7 बजे से राम जी का झूला पड़ेगा औऱ नित्य का कार्यक्रम आयोजित होगा।