अयोध्या। अवध विश्वविद्यालय के फाईन आर्ट्स तथा अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग के संयुक्त तत्वाधान में ‘समकालीन भारतीय कला‘ विषय पर दो दिवसीय विशिष्ट व्याख्यान का समापन शनिवार को किया गया। कार्यक्रम की बतौर मुख्य वक्ता डॉ0 क्षमा द्विवेदी खैरागढ़ विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ रही। कार्यक्रम की अध्यक्षता अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग की प्रो0 मृदुला मिश्रा ने की। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता डॉ0 क्षमा द्विवेदी ने छात्र-छात्राओं को ’वाटर कलर’ के माध्यम से मनमोहक एवं रमणीक पेन्टिग का चित्रण कराया। उन्होंने अवधी शैली की कलाकृतियों के अलंकृत करते हुए उसके स्वरूपों एवं गुणों से परिचित कराया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो0 मृदुला मिश्रा ने बताया कि कला की विशिष्ट शैलियों को विकसित करने में भारतीय कलाकारों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। कला विशेषज्ञों ने भारतीय संस्कृति के अनुरूप रोजगारपरक कला विधाओं को विकसित किया हैं। विशिष्ट व्याख्यान की संयोजिका ललित कला की डॉ0 सरिता द्विवेदी ने चित्रण के विभिन्न तकनीकी बारीकियों से परिचित कराया। उन्होंने कहा कि जलरंग पद्धति में दृश्य चित्रण प्रदर्शन ने निश्चित रूप से छात्र-छात्राओं को एक कलात्मक विधा से परिचित कराते हुए उत्प्रेरित किया है। अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास के विभागाध्यक्ष एवं ललित कला विभाग के समन्वयक प्रो0 विनोद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि दो दिवसीय विशिष्ट व्याख्यान में परिसर के लगभग 150 छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया। इसमें छात्र-छात्राओं ने जलरंग के माध्यम से लैण्डस्केप चित्रण के कार्य को और अच्छे तरीके से बनाने में अपनी जिज्ञासा प्रदर्शित की।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि प्रो0 मंजुला उपाध्याय, प्राचार्य नवयुग कन्या महाविद्यालय लखनऊ, एल0 बी0 एस पी0जी0 कालेज गोण्डा के प्रो0 जे0 बी0 पाल व वरिष्ठ अधिवक्ता हेमन्त कुमार उपाघ्याय ने छात्र-छात्राओं का उत्साहवर्धन किया। समापन सत्र का संचालन डॉ0 सरिता द्विवेदी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन श्रीमती रीमा सिंह द्वारा किया गया। कार्यक्रम में प्रो0 आशुतोष सिन्हा, डॉ0 प्रिया कुमारी, डॉ0 अलका श्रीवास्तव, दिलीप कुमार पाल, विजय कुमार शुक्ला, शिव शंकर यादव आलोक कुमार सहित अन्य मौजूद रहे।