अंबेडकर नगर । 2017 में प्रदेश में योगी सरकार बनते ही अवैध रूप से चल रहे बूचड़खानों पर रोक लगा दी गई थी, इससे मीट कारोबारियों में हड़कंप मच गया था। अवैध रूप से चल रहे बूचड़खाने लगभग बन्द हो गए हैं। वर्तमान में प्रदेश के किसी भी जिले में बिना लाइसेंस के बूचड़खाना चलाना नामुमकिन है। मीट विक्रेता अब लाइसेंस बनवाने के लिए विभिन्न फ़ूड कम्पनी का सहारा ले रहे है और लाइसेंस बनवाकर अपना जीविकोपार्जन कर रहे है। परन्तु कुछ कंपनियों के सुपरवाइजर विक्रेताओं से मोटी रकम लेकर उनको लाइसेंस देने के बजाय उनको दर दर भटकने को मजबूर कर रहे हैं। ऐसे में मीट विक्रेताओं को आर्थिक चपत तो लग ही रही है साथ ही उनका परिवार भी भूखे मरने की कगार पर पहुँच रहा है।
जिले के जलालपुर में ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है। आरोप है कि मारिया फ़ूड कम्पनी के सुपरवाइजर ने एक युवक को मीट बेचने का लाइसेंस बनवाने के लिए पांच लाख में सौदा तय किया। सुपरवाइजर ने युवक से आधा पेमेंट दो लाख पचास हजार रुपये एडवांस लिए तथा आधा पेमेंट लाइसेंस बन जाने के बाद लेने की बात कही। युवक ने सुपरवाइजर को 2 लाख 50 हजार रुपये एडवांस के तौर पर दे दिए परन्तु 4 माह का समय बीत जाने के बाद अभी तक सुपरवाइजर द्वारा न तो लाइसेंस ही बनवाया गया और न ही पैसा वापस किया गया। सुपरवाइजर की हीलाहवाली से परेशान होकर युवक ने पुलिस अधीक्षक से न्याय की गुहार लगाई है। जानकारी के अनुसार इसहाक पुत्र हफीजुर्रहमान निवासी मोहल्ला जाफराबाद(अलीगंज), थाना जलालपुर, का रहने वाला है। इसहाक ने मीट बेचने के लिए लाइसेंस बनवाने के लिए अपने को मारिया फ़ूड कंपनी का सुपरवाइजर बताने वाले अंबुज वर्मा निवासी कटेहरी बाजार, थाना अहिरौली को मीट विक्रेता लाइसेंस बनवाने के लिए ढाई लाख रुपए नगद दिए थे। पैसा देने के चार माह बाद भी अंबुज वर्मा द्वारा इसहाक को न तो मीट विक्री का लाइसेंस दिया और न ही पैसा वापस किया। जब इसहाक ने अंबुज वर्मा से पैसा मांगा तो अम्बुज वर्मा ने युवक को धमकाया। जिसके बाद इसहाक ने पुलिस अधीक्षक को शिकायती पत्र देते हुए अंबुज वर्मा के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की है। लाइसेंस बनवाने के मानक
-मीट की दुकान धार्मिक स्थल से 100 मीटर की दूर पर हो व सब्जी की दुकान के आस-पास नहीं हो।
-मीट विक्रेता पशुओं को दुकान के अंदर नहीं काट सकते।
-मीट की दुकान में काम करने वाले कर्मचारियों को सरकारी चिकित्सक से हेल्थ सर्टिफिकेट लेना होगा।
-मीट की क्वालिटी को पशु चिकित्सक से प्रमाणित कराना होगा।
-मीट दुकानदार बीमार या प्रेगनेंट जानवरों को नहीं काट सकते हैं।
-मीट विक्रेता को छह माह में दुकान के अंदर सफेदी करानी होगी।
-उनके चाकू व दूसरे धारदार हथियार स्टील के बने होने चाहिए।
-मीट की दुकान में कूड़े के निपटारे के लिए समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।
-मीट विक्रेता को बूचड़खाने से खरीदे मीट का हिसाब-किताब भी रखना होगा, साथ ही मीट को बूचड़खाने से फ्रीजर वाली गाड़ियों में ही लाना होगा।
-मीट की दुकान में गीजर भी होना चाहिए।
-दुकानों के बाहर पर्दे या गहरे रंग के शीशे लगे होने चाहिए, ताकि बाहर से किसी को दुकान के अंदर का नजर नहीं आए।