अयोध्या। अवध विश्वविद्यालय के व्यवसाय प्रबंध एवं उद्यमिता विभाग में इनोवेशन एंड स्टार्टअप : क्रिएटिंग इंटरप्रन्योर विषय पर पांच दिवसीय कार्यशाला की शुरुआत बुधवार से हुई। कार्यशाला में डेनमार्क के बाजार विशेषज्ञ क्रिश्चन ने कहाकि डेनिश शिक्षा में अध्ययन कार्यक्रमों को समस्या-आधारित रखा जाता है। समस्या-आधारित शिक्षा का तात्पर्य समस्या से शुरू करना और फिर प्रत्येक संदर्भ में लागू होने वाले सिद्धांतों का पता लगाना।
उन्होंने कहा कि सीखना या शिक्षा केवल पाठ्यपुस्तकों को पढ़ने, शब्दों और सिद्धांतों को याद करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भी देखना चाहिए कि वास्तविक दुनिया में उनका उपयोग कैसे होगा। छात्रों को टीम बनाकर काम करने की आवश्यकता है। इससे समूह आधारित परियोजनाओं में काम करने की तैयारी होती है। टीम में काम करने के अनेक लाभ हैं, जिसके अनुभव का लाभ नौकरी में भी मिलता है। उन्होंने कहा कि अधिकांश व्यवसायों को बाजार में खुद को स्थापित करने के लिए बड़ी मात्रा में पूंजी की आवश्यकता होती है। जब समाज स्थिर होता है तो उद्यमी भी सफल होते हैं।
आइआइटी रुड़की के प्रो. संतोष रंगनेकर ने कहाकि उद्यमिता में अनेक अवसर हैं। उद्यमिता को नवाचार से जोड़कर बाजार में नए-नए उत्पाद तैयार किए जा सकते हैं। उन्होंने कहाकि प्रत्येक उद्यम या व्यवसाय में जोखिम भी होता है, लेकिन अवसर भी हैं। प्रबंधन के विद्यार्थियों को बाजार की संभावनाएं खोजनी चाहिए। समय की मांग, लोगों की जरूरत के अनुसार उद्यम की शुरुआत करनी चाहिए। अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय संबंधों की जानकारी टेरेसा क्ली ने भी विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं को शांत किया। इस अवसर पर डा. महेंद्र पाल, डा. अंशुमान पाठक, डा. निमिष मिश्रा, डा. कपिलदेव चौरसिया, डा. प्रवीण राय, डा. दीपा सिंह, डा. राकेश कुमार, डा. रविंद्र भारद्वाज, डा. रामजीत सिंह यादव, सूरज सिंह, श्याम श्रीवास्तव आदि उपस्थित रहे।