अयोध्या। इमोशनली इंटेलीजेंट व्यक्ति मनोदबाओं से हताश न होते हुए अपनी क्षमता का श्रेष्ठ उपयोग करता है। यह बातें यश पैका लिमिटेड सभागार में आयोजित मनोतनाव प्रबंधन कार्यशाला में जिला चिकित्सालय के मनोपरामर्शदाता डॉ आलोक मनदर्शन ने कही। इस दौरान उन व्यक्तित्व विकारों पर परिचर्चा हुई की जो कि आगे चलकर गम्भीर मनोरोग का कारण बनते है । युवाओं में बढ़ती इमोशनल हेल्थ संशयों व मुद्दो पर खुल कर समाधान चर्चा हुई तथा परिवार व व्यवसाय के भावनात्मक वातावरण के संवर्धन व सहयोग पर विशेष जोर देते हुए इमोशनल इंटेलीजेंस की रोल मॉडलिंग पर जोर दिया गया। डा मनदर्शन ने बताया कि व्यक्ति, व्यवसाय व परिवार एक ही चेन की भावनात्मक कड़ी होती है तथा भावनात्मक रुप से कमजोर व्यक्ति अपने मनोदबाओं के प्रति पलायनवादी रवैया अपनाकर आत्मघाती मनोदशा मे आ सकता है तथा अवसाद का शिकार हो सकता है। जिससे इमोशनल ब्रेन के साथ ही शारीरिक दुष्प्रभाव भी दिखायी पड़ने लगते है जिसमे सरदर्द, अनिद्रा, भूख की कमी, गुस्सा, पेट की गड़बड़ी, एकाग्रता में कमी, धड़कन, चिड़चिड़ापन, आक्रामकता व नशाखोरी आदि लक्षण दिखायी पड़ सकते हैँ ।स्ट्रेस मैनेजमेंट सीखने की हर उम्र मे गुंजाइस होती है केवल इसके लिए मनोजागरूक होने की जरूरत है। कार्यक्रम के अंत में इमोशनल समस्याओं के प्रति व्याप्त अज्ञानता को उपचार में गम्भीर बाधा के रूप में माना गया।कार्यशाला में प्रबंध तंत्र व कर्मचारी मौजूद रहे। डॉ मनदर्शन ने ऑब्जर्वेशनल मेथड द्वारा दीपान्कर,नीलम व श्रेष्ठा को इमोशनल इंटलीजेंस एम्बेसडर घोषित करते हुए बौद्धिक क्षमता के साथ भावनात्मक बुद्धिमता विकसित करने पर जोर दिया। संचालन पवन यादव व धन्यवाद संकर्शण शुक्ला ने दिया।