अयोध्या । फर्जी वसीयत के आधार पर नामांतरण करने के आरोप में न्यायालय के आदेश पर कोतवाली पुलिस द्वारा बीकापुर के तत्कालीन नायब तहसीलदार, राजस्व लेखपाल, सहायक रजिस्ट्रार कानून गो सहित पांच आरोपियों के विरुद्ध धोखाधड़ी करने सहित अन्य धारा में मुकदमा दर्ज किया है।
तहसील क्षेत्र के रमवाकला गांव निवासी आशा देवी पुत्री स्वर्गीय वंशराज की शिकायत पर मामले में आरोपी तत्कालीन नायब तहसीलदार गजानन दुबे, तत्कालीन राजस्व लेखपाल ईश्वरचन्द मिश्र, तत्कालीन सहायक रजिस्टर कानून गो नाम अज्ञात, रमवाकला हैदरगंज निवासी घनश्याम वर्मा, तथा पारा राम हैदरगंज निवासी चित्रांगद पाण्डेय के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज हुई है।
पीड़ित आशा देवी पुत्री स्व वंशराज द्वारा बताया गया कि वह अपने माता-पिता की इकलौती पुत्री है। उनके पिता वंशराज रमवाकला मे स्थित गाटा संख्या 54, 16, 77 स्थित भूमि के संक्रमणीय भूमिधर थे। उनके पिता के मृत्यु के बाद वरासतन उनकी माता भगवान देई का नाम खतौनी में दर्ज चला आ रहा था। तथा माता जी की मौत हो जाने के बाद उनका नाम वरासतन खतौनी में दर्ज कागजात है। जिसमे उनका कब्जा है। उनके चाचा घनश्याम एक लालची फरेबी व जालसाज किस्म के व्यक्ति हैं जो उनकी भूमि व मकान को हड़पने में लगे रहते हैं। उन्होने उनकी वरासत को निरस्त करने के लिए एक नुमाइशी वसीयत के आधार पर तहसीलदार बीकापर के यहां मुकदमा दायर करके उनकी वरासत को तहसीलदार बीकापुर के न्यायालय से स्थगित करा दिया। जिसकी जानकारी होने पर उन्होंने एक पक्षीय आदेश को चुनौती देते हुए आयुक्त न्यायालय में निगरानी प्रस्तुत किया था। जिस पर आयुक्त ने तहसीलदार बीकापुर द्वारा पारित स्थगन आदेश को निरस्त कर दिया तथा तहसीलदार बीकापुर को दोनो पक्षों को सुनकर आदेश पारित करने हेतु निर्देशित किया गया था। मुकदमा बीकापुर तहसीलदार के यहां आज भी चल रहा है। लेकिन इसी दौरान उनके चाचा घनश्याम ने विपक्षी नायब तहसीलदार गजानंद दुबे और सहायक स्टार कानूनगो से मिलीभगत करके उनकी भूमि का फर्जी वसीयत के आधार पर नया नामान्तरण वाद पुराने चल रहे मुकदमें को छिपाते हुए तहसीलदार बीकापुर के यहां प्रस्तुत कर उसे नायब तहसीलदार गजानंद दुबे के न्यायालय में स्थानान्तरित करा लिया। जहां पर नायब तहसीलदार और सहायक रजिस्ट्रार कानून गो द्वारा उनके चाचा को अनुचित लाभ पहुंचाने की नीयत से उनका नाम निरस्त कर वसीयत के आधार पर उनके चाचा का नाम दर्ज करने का आदेश पारित करवाया तथा राजस्व लेखपाल ईश्वर चंद्र मिश्रा ने यह जानते हुए कि खतौनी पर उनका नाम जरिये वरासतन दर्ज है तथा आयुक्त का रिमाण्ड आदेश दर्ज है को छिपाकर जानबूझकर उनके चाचा घनश्याम को अनुचित लाभ पहुंचाने के उददेश्य से झूठी रिपोर्ट तथा अपना झूठा बयान नायब तहसीलदार को दिया। खतौनी पर पूर्व में दर्ज किए गए आदेश को दर किनार कर नामान्तरण आदेश पारित कर दिया। आरोपी लेखपाल द्वारा कायदा 23 पर आदेश चढ़ा लिया लेकिन खतौनी पर जानबूझकर चढ़ाने से रोक लियां। इसी दौरान नायब तहसीलदार और सहायक रजिस्ट्रार कानूनगो सेवा निवृत्त हो गये। जब नए नायब तहसीलदार की नियुक्ति हुई तो उनके चाचा घनश्याम ने 4 साल बाद तथ्यों को छिपाते हुए संशोधन के माध्यम से पूर्व पारित आदेश को संशोधित करा लिया तथा खतौनी पर अपना नाम दर्ज करवाकर उनकी भूमि का बिक्री करने के लिए सौदा करने लगे। जानकारी होने के बाद जब वह नायब तहसीलदार और राजस्व लेखपाल से मिली और उनके आदेश के बारे में पूछा तो उन्हें गाली देते हुए जान से मारने की धमकी दिया। उसके बाद नायब तहसीलदार न्यायालय द्वारा लगाये आरापों को सही मानते हुए तत्कालीन नायब तहसीलदार आरोपी गजानन दुबे द्वारा पूर्व में पारित आदेश व संशोधन आदेश निरस्त कर दिया। उनके साथ की गई धोखाधड़ी की शिकायत उन्होंने बीकापुर कोतवाली में शिकायत पत्र देकर किया गया। लेकिन उन्हें डाट कर भगा दिया गया। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को भी शिकायत पत्र देकर कार्यवाही की मांग की गई। लेकिन फिर भी आरोपियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं हुई। उसके बाद न्यायालय में प्रार्थना पत्र दिया गया। प्रभारी निरीक्षक लालचंद सरोज ने बताया कि न्यायालय के आदेश पर रिपोर्ट दर्ज करके विवेचना की जा रही है।