अयोध्या। ज़िला चिकित्सालय के मन-कक्ष मे आयोजित होली-पर्व जनित मनो जागरूकता विषयक कार्यशाला मे मनोपरामर्शदाता डॉ आलोक मनदर्शन ने बताया कि उमंग व मौजमस्ती से लबरेज
डा आलोक मनदर्शन
होली पर्व के आगाज से जनमानस में खुशमिज़ाजी के हार्मोन एंडोर्फिन व सामाजिक मेल मिलाप वाले हार्मोन ऑक्सीटोसिन मे वृद्धि होती है। यह सक्रियता म्यूजिक व डांस आदि एक्टिविटी को प्रेरित करती है । यह स्वस्थ मन-रंजन मनोतनाव व उदासी को दूर कर मूड को खुशनुमा बनाता है, परन्तु इस उत्साह के अतिरेक मे भी जाने की प्रबल संभावना होती है जिसके अमर्यादित,अश्लील व आक्रामक दुष्प्रभाव दिख सकते है।
व्यक्तित्व-विकार व नशे की है अहम भूमिकाः
होली-उन्माद मनोदशा की चपेट मे आने की सम्भावना उन किशोर व युवाओ मे प्रबल होती है जो पहले से ही बॉर्डर लाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर, पैरानॉयड पर्सनालिटी डिसऑर्डर,ऐंटी सोशल पर्सनालिटी डिसऑर्डर या अवसाद व उन्माद की मनोदशा से ग्रसित होते है।रही सही कसर नशे या मादक पदार्थो का सेवन पूरी कर देता है क्योंकि मादक पदार्थ मनोउत्तेजना के हार्मोन डोपामिन को बढ़ा सकतें है तथा मनोस्थिरता वाले हार्मोन सेरोटोनिन को कम करते है जो हुड़दंग व उन्माद के कृत्य का मनोरसायनिक आधार बनता है । साथ ही मनोउत्तेजक माहौल में कॉर्टिसाल व एड्रेनलिन न्यूरोट्रांसमीटर का अधिस्राव मूड एक्सेलेरेटर का कार्य करता है ।
बचाव व उपचारः
पर्व-जनित उन्माद से बचाने में परिजन व अभिभावकों का अहम रोल है । अभिभावक रोल-माडलिंग करते हुए पाल्य के व्यवहार पर पैनी नज़र रखें तथा उनसे मैत्री पूर्ण सामंजस्य इस तरह बनाये कि पर्व जनित स्वस्थ आनन्द का सम्यक व्यक्तित विकास हो सके और विकृत समूह-दबाव या परवर्टेड पीअर-प्रेशर से निकलने का आत्मबल विकसित हो सके । यदि असामान्य व उद्दण्ड व्यवहार व नशाखोरी लगातार दिखे तो मनोपरामर्श अवश्य लें।