◆ कहा नौकरी में कई इश्यू थे, छोटा ही सही पर अपना काम
◆ सरकारी नौकरी की तैयारी कर रही है रामनगर की रहने वाली किरन
अयोध्या। सूरज सा तेज नहीं मुझमें, दीपक सा जलता देखोगे। अपनी हद रोशन करने से, तुम मुझको कब तक रोकोगे। संघर्ष पथ पर विचलित न होने वालों को लेकर लिखी यह कविता सिविल लाईन स्थित तहसील पर चाय बेच रही दो युवतियों पर एकदम सटीक बैठती है। पढ़ाई कर रही इन बेटियां के सामने पढ़ाई को लेकर दिक्कतें आयी तो पहले नौकरी किया और अब चाय की दुकान खोल ली।
किरन ने बताया कि सरकारी नौकरी की तैयारी कर रही थी। अपना कुछ करना चाहती थी। इससे पहले एक निजी कम्पनी में नौकरी किया तो उसमें कई इश्यू सामने आ रहे थे। मोदी के आत्मनिर्भर बनने की विचारधारा से प्रेरित हुई। पिता कासमैटिक्स की दुकान पर काम करते है। खुद का काम शुरु किया भले छोटा ही सही। तीन दिन हुआ डेली 80 से 90 चाय बिक जा रही है। अभी खुद की मसाला चाय बेच रहीं हूं। आने वाले समय में फ्लेवर चाय भी बेचूंगी। ग्रेजुएट चायवाली प्रियंका से भी प्रेरित रहीं हू। उनकी यूट्यूब पर वीडियों देखा है।