◆ 23 साल है कैप्सूल पेस-मेकर की लाइफ
◆ लखनऊ के टेंडर पाम सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल में मरीज को लगाया गया कैप्सूल पेस मेकर
लखनऊ। लखनऊ के टेंडर पाम सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल में एक मरीज को अत्याधुनिक कैप्सूल पेस-मेकर लगाया गया। लखनऊ का पहला और देश का 15 वां केस है जिसमें यह पेस मेकर लगाया गया है। कैप्सूल पेस मेकर से मरीजों को पेस-मेकर लगवाने के लिए किसी तार या बैटरी लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि यह पेसमेकर एक कैप्सूल की तरह है। जिसकी लाइफ 23 साल तक होती है। 23 साल तक केवल कैप्सूल पेसमेकर आपकी हृदय गति को कंट्रोल कर सकेगा और इसके बाद डॉक्टर इसे निकालकर दूसरा कैप्सूल पेस मेकर लगा सकेंगे। इसे लीड लेस पेस मेकर कहते हैं। यह नया लीड लेस पेस मेकर मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहा है। इसे । टम्प्त् कहते हैं। इसको लगाने से पेसमेकर इन्फेक्शन, लीड डिस्लॉजमेंट का खतरा पूरी तरह से खत्म हो जाता है। इसके पहले भी टेंडर पाम सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल में फर्स्ट जेनरेशन माइक्रा डिवाइस लगाई जा चुकी है। माइक्रा का सफलता स्तर यह रहा कि उत्तर प्रदेश में इसे सबसे ज्यादा टेंडर पाम हॉस्पिटल में ही लगाया गया।
हॉस्पिटल के कार्डिएक साइंसेज डिपार्टमेंट के निदेशक एवं प्रमुख डॉ. गौतम स्वरूप ने बताया कि हमारे पास आई 80 वर्षीय बुजुर्ग महिला मरीज इसी समस्या से ग्रसित थी। उन्हें पेस मेकर लगवाने की सलाह दी गयी थी। लेकिन उन्हें न्यूरोलॉजी से जुड़ी समस्या भी थी, जिसमें सामान्य पेसमेकर लगाने से तार हिलने का खतरा रहता है। इसी वजह से उन्हें अत्याधुनिक पेसमेकर लगाया गया। आपरेशन करने वाली कार्डिएक साइंसेज डिपार्टमेंट की टीम में डॉ आदेश कुमार सिंह, डॉ मोहित मोहन सिंह और डॉ कृष्ण कुमार सहानी शामिल थे।