◆ क्रॉनिक डिस्ट्रेस बनता है डिप्रेशन
अयोध्या। आकाशवाणी केंद्र अयोध्या में आयोजित विश्व मनोजागरूकता सप्ताह के तहत आयोजित कार्यशाला में डा आलोक मनदर्शन ने कहा कि किसी घटना विशेष या लाइफ इवेंट्स जैसे परिजन की मौत या अलगाव,बिजनेस या जॉब की क्षति, लव लाइफ ब्रेक अप जैसे मनोआघात से उपजे स्ट्रेस का प्रबन्धन न कर पाने पर स्ट्रेस नकारात्मक रूप ले कर डिस्ट्रेस या अवसाद बन सकता है, जिसमे बेचैनी, घबराहट, अनिद्रा आदि के साथ शारीरिक दुष्प्रभाव भी दिखाई पड़ते हैं। मेन्टल स्ट्रेस से न निकल पाने पर कार्टिसाल व एड्रेननिल स्ट्रेस हॉर्मोन बढ़ जाने से चिंता, घबराहट, आलस्य, अनमनापन, अनिद्रा, सरदर्द,पेट दर्द,तेज़ धड़कन, चिड़चिड़ापन,गुस्सा, नशा खोरी व आत्मघात या परघात की स्थिति भी पैदा हो सकती है । स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसाल का लेवल बढ़े रहने पर इन्सुलिन रेजिस्टेंस बढ़ कर डायबिटीज का कारण तथा एड्रेननिल बढे रहने के रक्तवाहिनियो में सिकुड़न के कारण हाई ब्लड प्रेशर की दशा बन सकती है। सामाजिक, मनोरंजक व रचनात्मक गतिविधियों को दिनचर्या में शामिल कर आठ घन्टे की नींद व सेल्फ टाइम एक्टिविटी से मस्तिष्क में मूड स्टेबलाइज़र हार्मोन सेरोटोनिन, रिवॉर्ड हार्मोन डोपामिन,साइकिक पेन रिलीवर हार्मोन एंडोर्फिन व लव हार्मोन ऑक्सीटोसिन का संचार होता है, जिससे दिमाग व शरीर स्वस्थ रहते हैँ। यह जीवनशैली माइंड- फ्रेंडली कहलाती है। कार्यशाला की अध्यक्षता केन्द्र निदेशक संजय धर द्विवेदी तथा धन्यवाद ज्ञापन एस के सिंह तथा संचालन सदक ने किया। प्रतिभागियो के संशयों व सवालो का समाधान भी किया गया।