Friday, November 22, 2024
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राधाबल्लभ संप्रदाय में दीक्षित एक परम भक्त थे गोपाल दास

Ayodhya Samachar


बठिंडा ।आसरा वेलफेयर सोसाइटी  रजि : बठिंडा के  संस्थापक  श्री  रमेश मेहता   तथा राज कुमार  मेहता ने बताया की उनके दादा स्वर्गीय श्री हरिराम के 2 बेटे  तथा 1 बेटी थी जिनमे  सबसे  बड़ी  बेटी  सीता देवी तथा  बेटा श्री  प्रकाश चन्द  मेहता   और उनके  सबसे   छोटे  बेटे रवि थे   जो की अब  श्री गोपालदास जी “लघु सखी” राधावल्लभ संप्रदाय में दीक्षित एक परम भक्त के नाम से अब जाने जाते  थे। इनका जन्म पंजाब के  बठिंडा  मे हुआ था जब श्री गोपालदास जी 14 साल के लगभग थे, तभी अपने प्राथमिक गुरु श्री मुकुंद हरी की सेवा में वृन्दावन आ गए। ये स्वाभाव के बड़े सरल थे एवं वृन्दावन से बहुत प्रेम करते थे। इन्होने वृन्दावन में सेवा कुञ्ज में सोहनी सेवा आरम्भ की। श्री गोपालदास जी सेवाकुंज की लताओं को साक्षात् सखी ही मानते थे। श्री राधारानी से सोहनी सेवा सीखाने की प्रार्थना करना : जब श्री गोपालदास जी ने सेवा कुञ्ज में सोहनी सेवा शुरू की तो उस समय उन्हें भली प्रकार से सोहनी देने नहीं आता था। एक दिन सेवाकुंज के गोस्वामी जी गोपालदास जी की सोहनी सेवा को देखकर बड़े रुष्ट हुए और उन्हें बहुत ज़ोर की डाँट लगायी की “तुझे सोहनी सेवा करने नहीं आती  इस डाँट से श्री गोपालदास जी बहुत दुखी हुए और लताओं के भीतर चले गए और खूब रोने लगे। श्री गोपालदास जी विचार करने लगे की मैं कैसा अभागा हूँ जिसे सोहनी सेवा भी नहीं आती। तब उन्होंने श्री राधारानी से प्रार्थना की श्री सेवा कुञ्ज में सोहनी सेवा करना श्री गोपालदास जी का नित्य का नियम था। एक समय कुछ वैष्णवों के अनुरोध पर श्री गोपालदास जी दिल्ली चले गए। वहां भजन संध्या में इन्हें आमंत्रित किया गया था। समारोह मध्य रात्रि तक चला। रात के करीब 2 बज गए। श्री गोपालदास जी ने सबसे कहा की अब हम सोएंगे। ऐसा कह कर गोपालदास जी सो गए। 5-7 मिनट के बाद श्री गोपालदास जी झट से उठ कर खड़े हो गए और कहने लगे की मुझे वृन्दावन जाना है, मेरी सोहनी सेवा छूट जाएगी, श्री राधारानी की मंगला आरती छूट जाएगी। सब वैष्णवों ने गोपालदास जी को वृन्दावन ले आये और श्री गोपालदास जी ने मंगला आरती का दर्शन कर सोहनी सेवा की। सेवा कुञ्ज की लता कटने से श्री गोपालदास जी की स्थिति 2012 में सेवा कुञ्ज के नवनिर्माण कार्य के लिए कुछ लताओं को हटाना था जिससे बीचमे रासलीला स्थली का निर्माण हो सके। मजदूरों ने कुछ लताओं को काट दिया। यह देखकर श्री गोपालदास जी विचलित हो गए और अनशन पर बैठ गए। निर्माण कार्य रोक दिया गया लेकिन लता तो गोपालदास जी की दृष्टि में साक्षात् सखी थी। इस कारण श्री गोपालदास जी का स्वास्थ ख़राब हो गया। उनका उपचार किया गया लेकिन वे पुनः स्वस्थ न हो सके रचना : श्री गोपालदास जी ने अनेक पदों की रचना की है जो “निकुंज रस वल्लरी” नामक ग्रन्थ में संकलित है। लीला संवरण : श्री गोपालदास जी ने 27 अक्टूबर 2012 में अस्वस्थता में अपने देह का त्याग कर दिया और निकुंज में प्रवेश किया।

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