Saturday, November 23, 2024
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सैयद आबिद हुसैन एएमपी के नेशनल अवॉर्ड्स फॉर एक्सलेंस चेंजमेकर्स साल 2024 के सम्मान से हुये सम्मनित

Ayodhya Samachar


अम्बेडकर नगर। वर्ष 2017 में की गई एक शुरुआत आज वृहद और विस्तारित स्वरूप ले चुकी है। एसोसिएशन ऑफ मुस्लिम प्रोफेशनल्स ने मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक मंच सजाया, जिसमें राष्ट्रीय स्तर पर शहर और प्रदेश का नाम करने वालों को सम्मानित किया गया। ए एम पी के इस 8वें आयोजन में नेशनल अवॉर्ड्स फॉर एक्सलेंस चेंजमेकर्स साल 2024 की सूची में विदेश में फंसे भारतीयों की रियाई के लिए निरंतर काम करने वाले रियल लाइफ के बजरंगी भाई जान सैयद आबिद हुसैन को शामिल किया गया। आबिद हुसैन को राष्ट्रीय पुरस्कार नेशनल अवॉर्ड्स फॉर एक्सलेंस चेंजमेकर्स साल 2024 सम्मान से  सम्मानित किया गया।कार्यक्रम के मेहमानों में काजी ए शहर सैयद मुश्ताक अली नदवी, पूर्व मुख्यमंत्री, राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह, मध्य विधायक आरिफ मसूद, उत्र विधायक आतिफ अकील, राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो फुरकान कमर, राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार प्राप्त डॉ उषा खरे आदि मौजूद थे। मेहमानों ने आबिद हुसैन  के प्रयासों की तारीफ करते हुए सबको एक सूत्र में बांधने के लिए बजरंगी भाईजान की सराहना की। बताते चलें के वतनपरस्ती का एक तरीका ये भी तो है कि सरहद पार अटक गए, भटक गए अपने देश के लोगों की सकुशल वतन वापसी करवा ली जाए. यूपी के अम्बेडकर नगर में पैदा हुए और भोपाल में आकर बस गए। आबिद हुसैन गुजरे 10 सालों से यही कर रहे हैं। दुनिया के किसी हिस्से से पुकार आई हो, आबिद हुसैन की पूरी कोशिश होती है कि ऐसे हर शख्स की आवाज विदेश मंत्रालय के साथ एम्बेसी तक पहुंचाई जाए. देश दुनिया की तमाम एम्बेसी के संपर्क अपने मोबाइल में लिए आबिद भाई का पूरा मेल बॉक्स ऐसी एप्लीकेशन से भरा होता है जिसमें दुनिया के अलग अलग हिस्सों में फंसे भारतीयों की वापसी के लिए पत्राचार किया गया है। ये क्या जुनून है, कौन हैं ये बजरंगी भाई जान और कितने लोग हैं ऐसे जिनकी करवाई उन्होंने वतन वापसी।

आबिद हुसैन ने सबसे पहले तो 2015 में बाग्लादेश के रहने वाले रमजान नामक बच्चे को उसके घर पहुंचाया था जो भोपाल में फंस गया था  आबिद कहते हैं”उसी वक्त हमें ये ख्याल आया कि मेरे अपने वतन के लोग मेरे भाई भी तो दूसरे मूल्कों में फंसे होंगे, उनकी वतन वापसी कैसे होती होगी, उसी दौरान जितेन्द्र अर्जुनवार का मामला सामने आया, दिमागी रुप से कमजोर जितेन्द्र पाकिस्तान की कराची जेल में बंद था, बहुत लंबी लड़ाई लड़ी गई उसकी वापसी के लिए, लेकिन विदेश मंत्रालय के प्रयास से हमारा जितेन्द्र वापस आ गया,मैं लगातार जितेन्द्र की वतन वापसी के लिए अभियान छेड़ा रहा। आबिद बताते हैं मैं असल में पुल की तरह काम करता हूं जो दुनिया के किसी भी हिस्से में जाकर फंस गए हैं उनकी आवाज सही जगह तक पहुंचाता हूं। एम्बेसी और मंत्रालय तक, ताकि समय पर उन्हें मदद पहुंचे और वो खैरियत से वतन लौट सकें। आबिद अब तक 700 से ज्यादा लोगों की वतन वापसी करवा चुके हैं आबिद हुसैन ने पुरस्कार के लिये राष्ट्रीय अध्यक्ष आमिर इदरीसी , रफत फारुकी  , और कलीम अख्तर और एएमपी टीम संघ को धन्यवाद किया।

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