अयोध्या। विश्व सेक्स स्वास्थ्य दिवस 4 सितम्बर की पूर्व संध्या पर डा आलोक मनदर्शन ने बताया कि यौन उन्मुखता के विभिन्न रूपों जैसे समलैंगिक या लेस्बियन व गे ,उभयलिंगी, ट्रांसजेंडर, क्वीर, इंटरसेक्स और अलैंगिक जिसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एल जी बी टी क्यू प्लस समुदाय से सम्बोधित किया जाता है,एक प्रकार का यौन रुझान या उन्मुखता है जिसे विश्व के कई विकसित देशो सहित हमारे देश में भी वैधानिक मान्यता मिल चुकी है ।
उन्होंने बताया कि परन्तु कुछ यौन विकृतियां या सेक्सुअल परवर्जन भी समाज मे छुपे रुस्तम व्याप्त होते है और ये तब उजागर होता है जब ये किसी अपराध के कृत्य का रूप लेता है। कुछ पुरुषों में नित नये सेक्स पार्टनर की लत सटाइरोमैनिया या पालीगैमी तथा इससे ग्रसित महिलाओं में नित नये पुरुषों से सेक्स सम्बन्ध बनाने की मनोवृत्ति निम्फोमैनिया या एंड्रोगैमी कही जाती है। कुछ अन्य विकृत रूप भी देखने को मिलते है जिसमे जानवरों के साथ सेक्स जिसे बीस्टोफिलिया तथा बच्चों के साथ सेक्स जिसे पीडोफिलिया नाम से जाना जाता है। विपरीत लिंगी अन्तःवस्त्रो से सेक्स आनंद की प्राप्ति को फेटिसिज्म तथा विपरीत लिंग के जननांगो के स्पर्श से सेक्स आनंद की प्राप्ति करने को फ्राट्युरिज्म कहते है। कुछ लोग विपरीत लिंग के अन्तःअंगो को चोरी छिपे देखने की लत से ग्रसित होते है जिसे वायुरिज्म कहते है तथा विपरीत लिंग के वस्त्रो को धारण करने की लत को ट्रांसवेस्टिज्म कहते है। कुछ लोग मुर्दों के साथ भी सेक्स करने की लत से ग्रसित होते है जिसे नेक्रोफिलिया कहते है । इन मनोसेक्स विकृतियों से ग्रसित लोगों मे नशे व पोर्न की लत भी पायी जाती है । वर्चुअल एक्सपोजर थिरैपी तथा सेक्सुअल रि-कंडीशनिंग हेल्थी सेक्स बिहैवियर विकास में बहुत कारगर है।