अयोध्या। अवध विश्वविद्यालय व वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग के संयुक्त संयोजन में गुरूवार को हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर डिजिटल दौर में हिन्दी पत्रकारिता के बदलते आयाम विषयक वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबिनार को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि अवध विवि की कुलपति प्रो0 प्रतिभा गोयल ने कहा कि किसी भी समाज एवं संस्कृति में पत्रकारिता का बड़ा योगदान है। पत्रकारिता समाज को दिशा प्रदान करती है। पहले हिंदी समाचार पत्र उदंत मार्तंड का प्रकाशन निज भाषा उन्नत अहे का प्रथम स्वरुप है। निज भाषा में ही विशेष भावनाएं व्यक्त हो पाती हैं। वहीं अन्य भाषा में उसकी खुशबू खत्म हो जाती है।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता आशुतोष शुक्ल, वरिष्ठ पत्रकार एवं संपादक दैनिक जागरण, उत्तर प्रदेश ने पत्रकारिता के विद्यार्थियों से कहा कि हर पत्रकार वालंटियर होता है। पत्रकारिता का कार्य एक शिक्षक चिकित्सक और पुलिस का है। पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य करने के लिए पैशन का होना आवश्यक है। जब पत्रकारिता पैशन के लिए की जाती है तब आपकी कलम से समाज में लोगों का भला होता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो0 वन्दना सिंह ने कहा कि डिजिटल युग में न केवल हमारे संवाद के तरीकों को बदला है, बल्कि हिंदी पत्रकारिता के परिदृश्य को भी एक नए मोड़ पर ला खड़ा किया है। इंटरनेट और सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स के उदय के साथ, खबरें अब चंद मिनटों में दुनिया के किसी भी कोने तक पहुँच जाती हैं। अब ऑनलाइन पोर्टल्स और ऐप्स के माध्यम से खबरें तुरंत उपलब्ध होती हैं।
कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत वीबीएस पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जनसंचार विभागाध्यक्ष प्रो मनोज मिश्र ने किया। उन्होंने कहा कि इस डिजिटल युग में हिन्दी पत्रकारिता के समक्ष कई चुनौतियां है। इसके लिए तकनीकी रूप से दक्ष होने साथ भाषा पर पकड़ बनानी होगी। कार्यक्रम का संचालन डॉ दिग्विजय सिंह ने किया। अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन अविवि के पत्रकारिता विभाग के समन्वयक डॉ विजयेन्दु चतुर्वेदी द्वारा किया गया। इस अवसर पर प्रो. अविनाश पाथर्डीकर, डॉ. सुनील कुमार, डॉ. अवध बिहारी सिंह, डॉ. आरएन पाण्डेय, डॉ. अनिल विश्वा, डॉ. सतीश चन्द्र जयसल, डॉ. सुरेन्द्र कुमार, डॉ. वन्दना दूबे, डॉ. सुनील कुमार, डॉ. अवध बिहारी सिंह, डॉ. दयानन्द उपाध्याय, विश्व प्रकाश सहित बड़ी संख्या में दोनों विश्वविद्यालय के शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।