पूराबाजार, अयोध्या। त्रेतायुगीन चक्रवर्ती सम्राट राजा दशरथ की समाधि स्थली व मंदिर पर 22 जनवरी को रामलला जहां अयोध्या में अपनी जन्मभूमि पर बने दिव्य भव्य मंदिर में नव विग्रह के रुप में विराजमान होगें। राजा दशरथ की समाधि पर इसको लेकर रामभक्तों में विशेष उत्साह और उल्लास है। दशरथ समाधि के महंत दिलीपदास के अगुवाई में महोत्सव को महादीपावली के रूप में मनाने की तैयारियां जोरो पर है ।
महंत पं० दिलीपदास ने बताया कि राम चरित मानस में लिखा है धरम धुरंधर गुन निधि ग्यानी । हृदय भगति भति सारंग पानी।। अर्थात् अवधपूरी में सूर्यवंश शिरोमणि दशरथ नाम के राजाराज करते थे, जिनका नाम वेदों में विख्यात है वे धर्म के ज्ञानी , सद्गुणों के भण्डार और हृदय में भक्ति तथा जल के समान निर्मल हैं। इनके चार पुत्रों में राम , भरत , लक्ष्मण व शत्रुघ्न है।
महंत दिलीपदास बताते हैं कि 22 जनवरी प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान के उपलक्ष्य में छः दिन पूर्व यानि 17 जनवरी से ही नित्य यहाँ के साधक व श्रद्धालुजन 22 जनवरी तक लगातार पवित्र समाधि स्थल को गंगा जल से धुलाई कर समाधि और मंदिर को फूल सजाएंगे व दीपों से जगमग करेगें। अंतिम दिन 21 हजार दीपों से पौराणिक स्थली को दीपों से जगमग किया जाएगा । दशरथ समाधि पर आयोजित इन भव्य कार्यक्रमों में जहां श्रद्धाभाव की अभिव्यक्ति होगी तथा यहां का पूर्ण परिवेश राम मय रहेगा।