Saturday, November 23, 2024
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अव्यवस्थाओं के बीच गोविंद दशमी का स्नान पर्व कुशलतापूर्वक संपन्न

Ayodhya Samachar


◆ लाखों श्रद्धालुओं ने गोविंद सरोवर में लगाई आस्था की डुबकी


बसखारी अम्बेडकर नगर, 3 दिसम्बर। सिद्धि साधना का केंद्र बिंदु महीने भर चलने वाले पूर्वांचल के ख्याति प्राप्त ऐतिहासिक मेले का पवित्र स्नान पर्व गोविंद दशमी के दिन कुशलतापूर्वक संपन्न हो गया। हालांकि महीने भर तक चलने वाले इस मेले को लेकर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में की गई तैयारी बैठक के कागजों तक सीमित रहने के कारण इस पवित्र स्नान पर्व पर व्यवस्थाओं का बोलबाला रहा।मेले की तैयारी बैठक में स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने की हिदायत को भी जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारियों ने अंगूठा दिखा दिया।



जिसका परिणाम रहा कि जगह-जगह गंदगी का अंबार मेला परिसर में लगा रहा। बता दें कि अगहन मास की शुक्ल पक्ष दशमी तिथि पर लाखों श्रद्धालुओं का रेला गोविंद सरोवर में स्नान कर सिद्ध पीठ गोविंद बाबा की समाधि स्थल पर पूजन अर्चन करते हैं। इस बार भी 3 दिसंबर को गोविंद दशमी के पावन पर्व पर लाखों श्रद्धालुओं का रेला गोविंद परिसर में उमड़ा।स्नान पर्व को सकुशल पूर्वक संपन्न कराने एवं लाखों की जुटने वाली श्रद्धालुओं की भीड़ को व्यवस्थित करने की मुकम्मल व्यवस्था के कागजों में सिमट जाने के कारण श्रद्धालुओं को स्नान व पूजा अर्चना करने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।बता दें कि प्रत्येक वर्ष की भांति इस बार भी नवमी तिथि से ही प्रदेश के विभिन्न जिलों के श्रद्धालुओं का रेला गोविंद साहब में पहुंचने लगा।

श्रद्धालुओं के ठहरने एवं मेला परिसर में अलाव की समुचित व्यवस्था ना होने के कारण भीषण ठंड में श्रद्धालु को परेशानियों का सामना करना पड़ा। हालांकि यह समस्या श्रद्धालुओं के साथ पहली बार नहीं हुई।मनोरंजन के साधनों के बंद होने के कारण श्रद्धालुओं को यह समस्या विगत कुछ वर्षों से लगातार भुगतनी पड़ रही है। बताया जाता है कि मनोरंजन के साधन का संचालन होने से काफी संख्या में श्रद्धालुओं के बैठने की व्यवस्था मेला परिसर में हो जाती थी।

लेकिन मनोरंजन के संसाधनों को समय से अनुमति ना मिलने के कारण मेला परिसर में भटक रहे श्रद्धालु रात्रि 2:00 बजे के बाद से ही गोविंद बाबा के गगनभेदी जयकारों के साथ गोविंद सागर की तरफ चल दिए। इसी के साथ 2/3 दिसंबर की रात्रि से ही गोविंद दशमी के पवित्र स्नान पर्व का सिलसिला शुरू हो गया। गोविंद सरोवर में स्नान करने के बाद गोविंद भक्तों के द्वारा खिचड़ी का पारंपरिक प्रसाद गोविंद समाधि पर चढ़ायाकर अपनी मनोकामना की पोस्ट के लिए प्रार्थना की गई ।

गोविंद भक्तों की जयकार और मंदिर के घंटों से बिखरी ध्वनि की गूँज से पूरा माहौल भक्तिमय हो उठा था। स्नान एवं दर्शन करने में भी श्रद्धालुओं को अवस्थाओं का सामना करना पड़ा। प्रशासन द्वारा गोविंद सागर के किनारे बैरिकेडिंग लगा देने के कारण श्रद्धालुओं को काफी असुविधा का सामना करना पड़ा। इस तरह की व्यवस्था पहली बार होने से श्रद्धालुओं को स्नान कर चढ़ावा करने में काफी परेशानियों झेलनी पड़ी।


उठाईगिर एवं हाथ की सफाई करने वाले भी रहे सक्रिय


प्रशासन के द्वारा इस बार गोविंद सरोवर के एक तरफ स्नान करने की व्यवस्था के चलते गोविंद श्रद्धालुओं की भीड़ एक तरफ इकट्ठा हो गई जिससे भीड़ का फायदा उठाकर सामानों पर हाथ साफ करने वाले चोर उचक्के भी सक्रिय रहे।भीड़ के बीच उठाएगीरो एवं हाथ की सफाई करने वालों को अनुकूल मौका मिल गया और कई लोगों के सामानों पर हाथ साफ होने की चर्चा मेला परिसर में रही।


तैयारी बैठक का मूल मंत्र स्वच्छता भी हुआ धराशाही


मेला परिसर में जगह-जगह गंदगी का अंबार लगा होने के कारण जिलाधिकारी की बैठक में स्वच्छता अभियान पर विशेष ध्यान देने का दिया गया निर्देश भी धराशाई हो गया। मेला परिसर में जगह जगह गंदगी का अंबार लगा रहा। जिसको लेकर भी आने वाले श्रद्धालुओं को काफी परेशानियां झेलने को मिली। मेला परिसर में फैली गंदगी मेले की व्यवस्था में स्वच्छता अभियान की पोल स्वयं ही बता रही थी।


आश्वासन के बाद भी मनोरंजन के साधनों को नहीं मिला परमिशन


तैयारी बैठक में मेले में आने वाले मनोरंजन के साधनों को जरूरी कोरम पूरा करने के बाद गोविंद दशमी के पूर्व ही अनुमति मिलने की चर्चा हुई थी।मनोरंजन के संसाधनों को अनुमति ना मिलने के कारण एक तरफ जहां मनोरंजन के संचालकों को आर्थिक दंश झेलना पड़ा वही दूरदराज से आने वाले श्रद्धालुओं भी भीषण ठंड में इधर-उधर ठिठुरते नजर आए।


महंत ने किया खिचड़ी के भंडारे का आयोजन


मेले में गोविंद दशमी स्नान पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए दानवीरों की दानवीरता छलक पड़ी।जिसमे जलालपुर के काशी महाराज के प्रबंधन में महंत बाबा प्रेमदास के हाते में स्वादिष्ट खिचड़ी का भंडारा नवमी की रात से ही गोविंद दशमी के पूरे दिन चलता रहा। जिसमें श्रद्धालुओं ने पहुंचकर भंडारे का प्रसाद ग्रहण किया।

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