अयोध्या। डा आलोक मनदर्शन ने बताया कि मनोस्वास्थ्य जागरूकता का अभाव, परिस्थितियों से अनुकूलन की क्षमता में कमी तथा दुनिया को केवल काले और सफेद में देखने की मनोवृत्ति टीनेज मेन्टल हाईजैक के लिये प्रमुख रूप से जिम्मेदार है। रही-सही कसर अभिभावकों की फाल्टी पैरेटिंग, अति अपेक्षावादी माहौल, पीयर प्रेशर व तुलनात्मक आंकलन पूरी कर देता है। सोशल मीडिया, ऑनलाइन गेमिंग व गैंबलिंग की मादक लत भी किशोरों व युवाओं में बिना सोचे समझे नकारात्मक कदम ले लेने की प्रवृत्ति को बढ़ावा दे रहे हैं। यह बातें जिला चिकित्सालय के किशोर व युवा मनोपरामर्शदाता डॉ आलोक मनदर्शन ने उदया पब्लिक स्कूल मे आयोजित प्रोएक्टिव टीचिंग विषयक कार्यशाला में कही।
उन्होने कहा कि शिक्षक मनोजागरुकता व फैमिली थिरैपी का अहम रोल है । समय रहते मनोपरामर्श से इन विचारों से टीनएजर्स को निकाला जा सकता है।साथ ही परिवार का सकारात्मक भावनात्मक सहयोग का भी बहुत योगदान होता है। जागरूक शिक्षक स्टूडेंट के न केवल अकादमिक बल्कि मनोभावो का भी सजग प्रहरी होता है। प्रोएक्टिव टीचर स्टडेंट के स्ट्रेस को डी स्ट्रेस करने तथा रिस्क बेहैवियर का आंकलन व प्रबंधन करने मे सक्षम होता है जिससे छात्र विद्या कौशल के साथ जीवन कौशल मे पारंगत हो सके। कार्यशाला की अध्यक्षता प्रधानाचार्य जीवेन्द्र सिंह तथा संयोजन निधि सिन्हा ने तथा धन्यवाद ज्ञापन नेहा शर्मा ने किया ।