Sunday, September 22, 2024
HomeAyodhya/Ambedkar Nagarअम्बेडकर नगरजिलाधिकारी ने गोवंश संरक्षण केंद्र अखलासपुर का किया निरीक्षण

जिलाधिकारी ने गोवंश संरक्षण केंद्र अखलासपुर का किया निरीक्षण


अंबेडकर नगर।  जिलाधिकारी अविनाश सिंह द्वारा बृहद गोवंश संरक्षण केंद्र चहोड़ा घाट विकासखंड रामनगर का निरीक्षण करने पहुंचे, स्थानीय लोगों द्वारा बताया गया कि चहोडा घाट में कोई जानवर नहीं रहते हैं यह वृहद गोवंश संरक्षण केंद्र अखलासपुर विकासखंड रामनगर में स्थानांतरित कर दिया गया है। चहोड़ा घाट गोवंश संरक्षण केंद्र के स्थानांतरण की सूचना पशुपालन विभाग द्वारा नहीं दी गई। जिस पर जिलाधिकारी द्वारा मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी को कारण बताओं नोटिस जारी किया गया।

       इसके उपरांत जिलाधिकारी गोवंश संरक्षण केंद्र अखलासपुर विकासखंड रामनगर पहुंचे। निरीक्षण के दौरान परियोजना निदेशक दिलीप सोनकर, खंड विकास अधिकारी रामनगर, संयुक्त खंड विकास अधिकारी, पशु चिकित्सा अधिकारी मौके पर उपस्थित रहे। निरीक्षण के दौरान मौके पर कुल 317 गोवंश पाए गए जिसमें से 187 नर तथा 130 मादा। निरीक्षण के दौरान मौके पर हरा चारा, भूसा ,5 बोरी पशु आहार, विद्युत कनेक्शन, सोलर कनेक्शन, जनरेटर तथा सीसीटीवी कैमरा उपलब्ध पाया गया तथा साफ सफाई व्यवस्था ठीक नहीं पाई गई। गोबर का ढेर भी मिला। जिस पर जिलाधिकारी द्वारा वर्मी कंपोस्ट खाद बनाकर जरूरतमंद किसानों को देने , वृक्षारोपण करने, नाली, खड़ंजा ठीक करने, बाउंड्री पेंट तथा नियमित साफ सफाई के लिए निर्देशित किया गया।गौशाला में एक गाय हाल ही में बच्चा दिए हुए पाई गई।सहभागिता योजना अंतर्गत दूध देने वाली गायों को कुपोषित बच्चों के परिवारों को देने के निर्देश दिए गए।

      जल जीवन मिशन अंतर्गत हथनाराज में निर्माणाधीन पानी की टंकी का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान धीमी प्रगति पर जिलाधिकारी द्वारा नाराजगी व्यक्त की गई। तथा निर्देशित किया गया कि कार्य समय से पूर्ण कराया जाना सुनिश्चित करें। इसमें किसी प्रकार की लापरवाही न बरती जाए।

        रास्ते में जिलाधिकारी ने कुछ बकरी पालकों से वार्ता की और प्रदेश सरकार द्वारा पशुपालन विभाग के माध्यम से चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी दी तथा जनपद में आयोजित होने वाली बकरी मेले में आने के लिए प्रेरित किया। साथ ही साथ जिलाधिकारी ने देसी बकरियों के अतिरिक्त अन्य प्रजातियों बरबरी तथा जमुनापारी आदि बकरियों के पालने के सुझाव दिया गया। बकरी से मीट, दूध, घी तथा अन्य उत्पादन को निर्मित करने के लिए प्रेरित किया गया। जिससे ग्रामीण महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकें।

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