अयोध्या। डा आलोक मनदर्शन ने बताया कि किशोर नशे की लत के साथ ही किशोर अपराध व दुर्घटना के भी आंकड़ों में तेजी से वृद्धि हो रही है। किशोर नशे की लत व अपराधिक प्रवृत्ति में प्रबल सह-सम्बन्ध है। जिसका शिकार मध्य किशोरावस्था से वे इस प्रकार हो रहे हैं कि परिजनों को इस बात का पता चलने में काफी देर हो जाती है कि किशोर गोपनीय नशे का शिकार हो चुका है। इन गोपनीय नशीले पदार्थों में डिजाइनर ड्रग्स व हुक्का तथा स्टेशनरी, पेंट व कॉस्मेटिक पदार्थों में इस्तेमाल होने वाला टॉलविन नामक द्रव्य है जिसको सूघने मात्र से ही तीव्र नशे की अनुभूति होती है।
उन्होने बताया कि इससे एकाग्रता की कमी, पढ़ाई में मन न लगना,आँखों का धुधलापन व लाल होना, चिड़चिड़ापन, क्रोधित व ठीट स्वभाव, नेट गेमिंग व गैंबलिंग , साइबर सेक्स,रैस ड्राइविंग, यौन सक्रियता, हिंसा व मारपीट, उद्दण्ड व अमर्यादित व्यवहार, इत्यादि सामने आते है। लत पड़ने के बारें में उन्होनें बताया कि नशीले पदार्थ के सेवन से दिमाग मे एक रसायन की बाढ़ आ जाती है और मस्ती का एहसास होने लगता है और फिर डोपामिन नामक इस रसायन का स्तर कम होने पर तलब पैदा होती है जिसे डोमामिन ड्रैग कहा जाता है। यह सम्भावना उन किशोरों में बहुत अधिक होती है जो किसी व्यक्तित्व विकार, अवसाद या उन्माद से ग्रसित होते हैं।नशे की पारिवारिक पृष्ठभूमि या मित्रमण्डली से सरोकार रखने वाले किशोर भी हाईरिस्क ग्रुप में आते हैं।
बचाव व उपचार के बारें में उन्होने बताया कि यदि किशोर के व्यवहार में असामान्यता दिखने लगे तो अभिभावक उनकी गतिविधियों पर मैत्रीपूर्ण व पैनी नजर रखे। प्यार से सम्बन्ध विकसित कर उसके गोपनीय नशे की लत के बारे में जानने का प्रयास करें। पारिवारिक वातावरण को बेहतर बनाने की कोशिश करें तथा स्वस्थ मनोरंजक गतिविधियों को बढ़ावा दें। यदि इसके बाद भी किशोर गुमशुम व असामान्य दिखे तो निःसंकोच मनोपरामर्श लेने में देरी न करें। कॉगनिटिव थिरैपी किशोर को नशे से उबारने में बहुत ही कारगर है।