जलालपुर अंबेडकरनगर। प्रधानमंत्री आवास सूची में शामिल लाभार्थी के नाम से कागजातों में हेराफेरी और कूट रचना कर सचिव द्वारा दूसरी फर्जी लाभार्थी के खाता में पहली किश्त भेजे जाने की जांच में मामला सही पाए जाने पर सचिव के विरुद्ध विधिक कार्यवाही करने के बजाय लीपापोती में जुट गए है। अब सवाल उठता है कि जब दूसरी फर्जी लाभार्थी का नाम शेक सूची में दर्ज ही नहीं है तो उसके खाता में पहली किश्त कैसे भेज दी गई। प्रकरण मालीपुर ग्राम पंचायत का है। पीड़िता रीता ने जिलाधिकारी को शिकायती पत्र भेज इस कूटरचना में शामिल सचिव के विरुद्ध कार्यवाही की मांग की है।विदित हो कि गांव निवासी रीता का नाम प्रधानमंत्री शेक सूची में दर्ज है।रीता के पति मजदूरी करते है और उसके पास रहने के लिए केवल छप्पर युक्त मकान है। आवास की साइड पर लाभार्थी के घर की जियो टैग फोटो, आधारकार्ड, बैंक खाता समेत अन्य ब्योरा अपलोड किया गया है।जब प्रधानमंत्री आवास की पहली किश्त जारी होने का नंबर आया तो सचिव प्रवीण वर्मा ने कागजात में हेराफेरी कर दिया और ऐसे फर्जी लाभार्थी रीता के खाता में पहली किश्त भेज दी जिसका सूची में नाम ही नहीं दर्ज है। पीड़िता द्वारा मुख्यमंत्री पोर्टल पर दर्ज कराई गई शिकायत की जांच एडीओ पंचायत बृजेश तिवारी ने किया तो प्रकरण सही पाया गया। जांच अधिकारी ने किश्त भेजने में फर्जीवाड़ा पाए जाने के बाद सचिव के विरुद्ध कार्यवाही करने के बजाय भुगतान पर रोक लगा दिया।इतना ही नहीं जांच अधिकारी ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर की गई शिकायत से नाराज और दुर्भावना से ग्रसित होकर छप्पर युक्त मकान में रह रही रीता को अपात्र होने का दावा कर रहे है। आवास विहीन रीता ने जिलाधिकारी को पत्र भेजकर न्याय की गुहार लगाई है।