मिल्कीपुर, अयोध्या। कोरोना संक्रमण बढ़ने के बाद भी अस्पतालों में सतर्कता नहीं बरती जा रही है। कुछ मरीजों और उनके तीमारदारों को छोड़कर ज्यादातर लोग बिना मास्क के ही अस्पताल में इलाज के लिए इधर से उधर घूमते नजर आए। जबकि मुख्यमंत्री ने अस्पताल में मास्क लगाना अनिवार्य किए जाने के आदेश दिए हैं। बता दें कि सीएचसी मिल्कीपुर में रोजाना लगभग 200 से 300 तक मरीज ओपीडी में इलाज कराने पहुंच रहे हैं। मौसम में हो रहे बदलाव के चलते अस्पताल में लगातार मरीजों की भीड़ बढ़ रही है। कोविड-19 की गाइडलाइन की हकीकत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मिल्कीपुर पर देखने को मिली। जहां ब्लॉक स्तरीय प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के अंतर्गत गर्भवती महिलाओं की मूलभूत प्रसव पूर्व के तहत प्रत्येक माह की 16 तारीख को गर्भवती महिलाओं की जांच एवं इलाज किया जाता है। 16 अप्रैल को रविवार होने के चलते 17 अप्रैल को बड़ी संख्या में गर्भवती महिलाएं इलाज एवं जांच कराने सीएचसी मिल्कीपुर पहुंची थी। इलाज कराने आई महिलाओं में न तो सोशल डिस्टेंसिंग का कोई ख्याल रहा और न ही किसी के द्वारा मास्क लगाया गया था। डॉक्टर एवं स्टाफ नर्स तो मास्क लगाई थी लेकिन स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा गर्भवती महिलाओं को न तो सोशल डिस्टेंसिंग के बारे में कोई जानकारी दी गई और न ही मास्क लगाने को कहा गया था। कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। इसके बावजूद लोग अनजान बने हैं। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन तो दूर, ऐसा लगता है जैसे इलाज कराने आए लोग मास्क लगाना जरूरी नहीं समझते हैं। अस्पतालों में मरीज और तीमारदार मास्क पहनने से परहेज कर रहे हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग संक्रमण की रोकथाम के लिए जरूरी कदम उठाने का दावा कर रहा है। कोविड-19 के बढ़ते मामलों से मरीजों को सजग रहने की जरूरत है। अस्पताल में कार्यरत चिकित्सक और स्टाफ को मास्क लगाना अनिवार्य किया गया है। कोरोना को लेकर पूरी सतर्कता बरतने के निर्देश हैं। लेकिन अस्पताल में किसी प्रकार की सतर्कता नहीं बरती जा रही है। महिला रोग विशेषज्ञ डॉक्टर गुंजन यादव का कहना है कि मेरे द्वारा गर्भवती महिलाओं तथा उनके साथ आए लोगों को मास्क लगाने को कहा जा रहा है लेकिन कोई नहीं लगा रहा है ऐसे में मैं ही क्या करूं।